साल 2024: साल बदलने के बाद भी नहीं भूलेंगे ये हादसे, जिन्होंने पूरे देश को हिला कर रख दिया

नई दिल्ली
साल 2024 कई मायनों में खास रहा है तो कई मायनों में भुला देने लायक भी रहा है। इस साल कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिनका असर न केवल प्रभावित क्षेत्रों पर पड़ा, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इन हादसों ने देश को शोक में सराबोर करते हुए कई परिवारों को अपूरणीय क्षति दी। कुछ हादसों में किसी के घर का चिराग बुझ गया, तो वहीं कई माताओं और बहनों का सुहाग उजड़ गया। नजर डालते हैं इस साल के पांच बड़े और दिल दहला देने वाले हादसों पर, जिन्होंने देशवासियों को हिला कर रख दिया।

जयपुर अग्निकांड : अजमेर रोड पर भांकरोटा स्थित पुष्पराज पेट्रोल पंप के पास 20 दिसंबर की सुबह करीब 5.30 बजे एलपीजी गैस से भरे एक टैंकर में आग लग गई। इस हादसे में कुछ लोग जिंदा जल गए तो वहीं 30 के करीब लोग झुलस गए। आग लगने की वजह से हाईवे पर 20 से ज्यादा वाहन आग की चपेट में आ गए। टैंकर के पीछे चल रही एक स्लीपर बस भी जलकर खाक हो गई। टैंकर में आग लगने के बाद हुए धमाके की आवाज 10 किलोमीटर दूर तक सुनी गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आग इतनी भीषण थी कि 300 मीटर के दायरे में कई वाहन पूरी तरह जल गए और कई ईंधन टैंक रुक-रुक कर फटते रहे। आग को और फैलने से रोकने के लिए राजमार्ग के नीचे से गुजरने वाली एलपीजी पाइपलाइन को भी बंद करना पड़ा था। 30 से अधिक एंबुलेंस और दमकल गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया था। हादसे में जान गंवाने वाले परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया था।

मुंबई नाव हादसा : मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया के पास 18 दिसंबर को उस वक्त एक बड़ा हादसा हुआ था, जब गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा आइलैंड जा रही नीलकमल नामक पैसेंजर बोट से नौसेना की स्पीड बोट टकरा गई थी। यह घटना दोपहर बाद तीन से चार बजे के बीच की थी। नौसेना की बोट में इंजन टेस्टिंग का काम चल रहा था। अचानक बोट में खराबी आई और वह नीलकमल से टकरा गई। नीलकमल बोट में 100 से ज्यादा लोग सवार थे, जो गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा आइलैंड की ओर जा रही थी। इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई थी।

वायनाड भूस्खलन : केरल के वायनाड में 30 जुलाई को हुए भूस्खलन में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। वायनाड के चार गांवों में हुए भीषण भूस्खलन में 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई और सौ से ज्यादा लोग लापता हो गए थे। इस त्रासदी में जान-माल का भी भारी नुकसान हुआ था। भूस्खलन में मरने वालों के लिए दो-दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान भी किया गया था।

हाथरस सत्संग भगदड़ : हाथरस के सिकंदराराऊ के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में 2 जुलाई को नारायण साकार हरि भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के सत्संग में भगदड़ मची थी। इस भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। जानकारी के अनुसार, बाबा का काफिला निकालने के लिए सेवादरों ने भीड़ को रोक दिया था। इस दौरान उनकी चरण रज लेने की होड़ में लोग गिरते गए। इस मामले में पुलिस ने 10 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा था।

इस पूरे मामले की जांच के लिए योगी सरकार ने एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया था। इस हादसे में मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर सहित अन्य सेवादारों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या, प्राण घातक हमला करने, गंभीर चोट पहुंचाने, लोगों को बंधक बनाने, निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और साक्ष्य छिपाने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। इन पर यह भी आरोप था कि सत्संग में 80 हजार लोगों के जुटने की शर्त का उल्लंघन कर ढाई लाख लोगों की भीड़ जुटाई गई।

कंचनजंगा रेल हादसा : पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में 17 जून की सुबह लगभग नौ बजे एक मालगाड़ी ने सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर लगने से कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई बोगियां पटरी से उतर गई। इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल यात्रियों को ढाई-ढाई लाख रुपये और मामूली रूप से घायल यात्रियों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया था।

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