सरला मिश्रा केस की फाइल 28 साल बाद फिर खुलेगी, पुलिस की खात्मा रिपोर्ट खारिज, दिग्विजय सिंह की बढ़ सकती हैं मुश्किलें? जानें मामला

भोपाल

मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास के सबसे चर्चित मामलों में से एक कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की मौत का मामला 28 साल बाद फिर से खुलने जा रहा है. 1997 में भोपाल स्थित सरकारी आवास में जलने से उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में सरला मिश्रा के भाई ने एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ऐसे में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. भोपाल कोर्ट के आदेश के बाद सरला मिश्रा की मौत का मामला फिर से खुलने जा रहा है.

 अनुराग ने कहा, सियासी अदावत में बहन की हत्या हुई। सरला की मौत की जांच पर शुरू से अंगुलियां उठती रही हैं। आरोप लगे कि भोपाल की टीटी नगर पुलिस की हत्या को आत्महत्या बताया। पीएम करने वाले डॉक्टर पर आरोप लगे। अब अनुराग ने कहा, उम्मीद है, अब न्याय मिलेगा।

जांच के नाम पर कागजी घोड़े : पुलिस ने 7 मार्च 1997 को बयान लिया। एक अन्य बयान 15 फरवरी 2010 को लिया। जांच के आदेश के कोर्ट ने लिखा- पुलिस ने जांच न कर कागजी घोड़े दौड़ाए।

सरला जल रही थी, दरवाजे खुले थे: जांच में कहा गया था, जब साक्षी राजीव दुबे घटनास्थल पर पहुंचे तो सरला जल रही है। मकान के दरवाजे खुले थे। कोर्ट ने लिखा है, यह असंभव है।

सरला के भाई ने दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए

इस मामले में सरला के भाई ने दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भोपाल का बहुचर्चित कांड सरला मिश्रा सुर्खियों में रहा है। सरला के भाई अनुराग मिश्रा का कहना है कि उनकी बहन सरला मिश्रा 14 फरवरी 1997 को संदिग्ध अवस्था में जली हुई पाई गई थीं।

इस मामले में आत्महत्या का मामला दर्ज किया गया था

पुलिस ने उस समय इस मामले में आत्महत्या का मामला दर्ज किया था, जबकि वो मामला हत्या का था। इसी मामले में दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का नाम भी सामने आया था। ऐसे आरोप थे कि सरला की हत्या राजनीतिक साजिश के तहत की गई थी। जब सरला मिश्रा का 1997 को निधन हुआ था, तब मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे।

सरला मिश्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी

सरला मिश्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में भोपाल के टीटी नगर थाने की ओर से पेश खात्मा रिपोर्ट को न्यायालय ने नामंजूर कर दिया है। सरला के भाई अनुराग मिश्रा की आपत्तियों के आधार पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पलक राय ने टीटी नगर पुलिस को मामले की पुन: जांच कर आरोप-पत्र संबंधित न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया है।

मामला करीब 28 वर्ष पुराना है। 14 फरवरी 1997 को सरला मिश्रा भोपाल के साउथ टीटी नगर स्थित सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में जल गई थीं। उन्हें इलाज के लिए पहले हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली ले जाया गया था, जहां 19 फरवरी 1997 को उनकी मौत हो गई।

कोर्ट ने कहा- पुलिस जांच में कई गंभीर खामियां भोपाल कोर्ट की न्यायाधीश पलक राय ने अपने आदेश में कहा कि मृतका के मृत्यु पूर्व बयान की मेडिकल पुष्टि नहीं की गई। बयान के समर्थन में जो कागज के टुकड़े मिले, उनकी भी स्वतंत्र जांच नहीं कराई गई। घटनास्थल से कोई फिंगरप्रिंट भी नहीं लिया गया। परिवार ने इसे हत्या बताया था और कुछ नेताओं पर आरोप भी लगाए थे।

साल 2000 में पुलिस ने केस की फाइल बंद कर दी थी। खात्मा रिपोर्ट अगले 19 वर्ष तक कोर्ट में पेश नहीं की गई। फरवरी 2025 में हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि पहले खात्मा रिपोर्ट में बयान दर्ज हों और फिर कार्रवाई की जाए। इसके बाद भोपाल कोर्ट में सुनवाई चली और अनुराग के बयान दर्ज हुए।

भाई ने कहा- हत्या हुई, पुलिस ने माना सुसाइड अनुराग मिश्रा ने बताया- सरला दीदी मेरी सगी बड़ी बहन थी। हम शुरू से कहते आ रहे हैं कि उनकी हत्या हुई है। पुलिस ने संदिग्ध स्थिति में जला मानकर 309 में केस दर्ज कर लिया और कहा था कि इन्होंने आत्महत्या की है।

हम उसी समय के जांच अधिकारी से कहते रहे कि इसमें हत्या हुई है। हमनें लिखकर दिया फिर भी उसकी जांच नहीं हुई। घटना स्थल पर सबसे पहले मेरे माता-पिता पहुंचे थे। उन्हें घटना वाले मकान से बाहर करके ताला लगा दिया था। पुलिस ने माता-पिता और मेरी एक और सगी बड़ी बहन के बयान नहीं लिए।

जलते हुए कोई कैसे फोन कर सकता है? अनुराग कहते हैं दीदी के पड़ोसी राजीव दुबे का बयान था कि सरला का मेरे घर फोन आया था कि मैं जल रही हूं। आप आकर मुझे बचाओ। उसी समय तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के निवास से राजीव दुबे और योगीराज शर्मा को फोन पहुंचता है कि सरला मिश्रा का इलाज कराओ।

ये दोनों दो घंटे तक उनको लेकर बैठे रहे। अस्पताल लेकर क्यों नहीं गए? डॉ. योगीराज शर्मा का पुलिस रिकॉर्ड में बयान है कि जब मैं घटना वाले घर पहुंचा तो मकान धुला और पोछा हुआ था। उसकी पुलिस ने जांच क्यों नहीं की।

लैंडलाइन फोन की जांच और जब्ती क्यों नहीं की अनुराग मिश्रा ने कहा- बहन के लैंडलाइन की कॉल डिटेल, वह फोन जब्त क्यों नहीं किया? डॉ. सत्पथी ने सारी बातें लिख दीं लेकिन, टेलीफोन का जिक्र ही नहीं किया। पुलिस डायरी में जैसा लिखा कि तत्कालीन एसपी के मौखिक आदेश पर डॉ. सत्पथी घटना की फोरेंसिक जांच के लिए पहुंच गए थे। ये क्यों नहीं बताया कि मौखिक आदेश में क्या कहा गया था। क्या रिपोर्ट बनाना है?

बेड पर मिले कागज की जांच क्यों नहीं की भाई का आरोप है कि घटना के बाद हर्ष शर्मा पहुंचे थे उन्होंने अभिमत दिया था कि सरला मिश्रा के बेड पर एक कागज मिला था। उसकी राइटिंग की जांच इसलिए नहीं की क्योंकि मृत्यु पूर्व बयानों में हस्ताक्षर अलग हो जाते। इसलिए पुलिस ने उनके अभिमत को भी नहीं माना। उस समय विधानसभा सत्र में भाजपा के विधायकों ने इस मामले को उठाया था और सीबीआई जांच की मांग की। उसके बाद हम हाईकोर्ट भी गए।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में एक रिट याचिका दायर की थी

पुलिस थाना टीटी नगर ने मामले की जांच कर सात नवंबर 2019 को सीजेएम कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट पेश की थी। सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने इस खात्मा रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति पेश की थी। इसके साथ ही उन्होंने इस संबंध में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में एक रिट याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद भोपाल जिला कोर्ट को आदेश दिए थे। उसके बाद से यह मामला यहां चल रहा था।

न्यायालय ने रिपोर्ट को माना अधूरा

न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पलक राय ने अपने आदेश में खात्मा रिपोर्ट को अधूरा बताया है। उन्होंने लिखा कि फरियादी की प्रोटेस्ट पिटीशन और खात्मा प्रकरण में साक्षियों के कथन से घटना के संबंध में की गई विवेचना अपूर्ण दिख रही है।

सीएम हाउस में दी सूचना
पुलिस कथन में पाया कि जलने की सूचना सीएम हाउस में दी। निर्देश पर डॉ. योगीराज शर्मा मौके पर गए। उन्होंने माना घटना(Sarla Mishra Murder Case) वाला कमरा धुला था। साक्ष्यों से छेड़छाड़ की आशंका है। राजीव दुबे-योगीराज ने ढाई घंटे तक पुलिस को नहीं बताया, इलाज के प्रयास नहीं किए।

जांच पर सवाल
पुलिस जांच पर सवाल उठाए। तब कहा सरला ने फोन कर सूचना दी। कोई जलता हुआ लैंडलाइन फोन से नंबर कैसे डायल करेगा। पुलिस ने वैज्ञानिक जांच नहीं की। टेलीफोन नहीं जब्त किया, न एफएसएल को भेजा। जला टेलीफोन भी नहीं मिला।

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