पूर्व सीएम भैरो सिंह शेखावत, वसुंधरा राजे का जिक्र, जयपुर पहुंचे मोदी ने दिया राजस्थान के विकास और राजनीति का दिया संदेश

जयपुर.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राजस्थान के जयपुर में 46,300 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की शुरुआत की, जो राज्य के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। लेकिन इस कार्यक्रम के पीछे केवल विकास का ही संदेश नहीं था, बल्कि मोदी ने अपनी सरकार के राजनीतिक एजेंडे को भी प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया।

उनकी ये परियोजनाएं केवल राजस्थान के विकास के लिए नहीं, बल्कि आगामी चुनावी मुकाबले में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने के लिए भी रणनीतिक कदम प्रतीत होती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर में अपनी स्पीच के दौरान पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत, वसुंधरा राजे और जसवंत सिंह के किस्सों को याद किया, जो एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा सकता है। मोदी का यह बयान न केवल राजस्थान की राजनीतिक पृष्ठभूमि को उजागर करता है, बल्कि उनके द्वारा इन नेताओं को सम्मानित करने का उद्देश्य भाजपा के पुराने नेताओं और उनके योगदान को जनता के बीच फिर से प्रस्तुत करना था। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस भावनात्मक अंदाज में भैरोंसिंह शेखावत और जसवंत सिंह के किस्से सुनाए, उसमें उनके नेतृत्व की क्षमता और राजस्थान के लिए उनके समर्पण को विशेष रूप से रेखांकित किया गया। मोदी ने इन नेताओं की नर्मदा जल को लेकर भावनात्मक प्रतिक्रिया का उल्लेख किया, जिसमें शेखावत और सिंह ने गुजरात के नर्मदा पानी को राजस्थान को देने के मोदी के कदम को सराहा था। यह केवल विकास की बात नहीं थी, बल्कि यह कांग्रेस की विफलताओं और राजस्थान में जल संकट पर भाजपा के प्रयासों की ओर इशारा करता था। मोदी ने अपने भाषण में कहा, "उनकी आंखों में आंसू थे," इस वाक्य के जरिए उन्होंने यह संदेश दिया कि भाजपा और उनके नेतृत्व में दिल से काम करने का एक भावुक पहलू है, जो कांग्रेस की राजनीति से अलग है। वसुंधरा राजे का उल्लेख भाजपा के महिला नेतृत्व को मजबूती देने की दिशा में एक राजनीतिक संकेत हो सकता है। राजे की राजनीति राजस्थान में भाजपा की मजबूत चेहरा रही हैं और उनका नाम लेकर मोदी ने महिला सशक्तिकरण के पक्ष में अपनी पार्टी का रुख साफ किया। यह कदम महिला वोटरों को ध्यान में रखते हुए उनकी भूमिका को न केवल पहचान दिलाता है, बल्कि इसे भाजपा के विकासात्मक दृष्टिकोण के साथ जोड़ता है। मोदी का यह प्रयास महिलाओं के बीच भाजपा का समर्थन बढ़ाने के लिए एक सूक्ष्म रणनीति हो सकती है।

1. विकास के साथ राजनीतिक संदेश
मोदी का जयपुर दौरा सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक सूक्ष्म राजनीतिक संदेश भी था। प्रधानमंत्री ने राजस्थान की भाजपा सरकार के एक वर्ष की उपलब्धियों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित किया। उन्होंने भाजपा सरकार की पारदर्शिता और विकास कार्यों की दिशा को उजागर किया, जो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की तुलना में एक stark contrast के रूप में प्रस्तुत किया गया। मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर रखते हुए कहा कि राजस्थान में पेपर लीक और भर्तियों के मामले कांग्रेस के शासनकाल की छवि बने थे, जबकि भाजपा सरकार ने बम्पर भर्तियां निकाली और पारदर्शी परीक्षाएं करवाई। यह बयान एक राजनीतिक इशारा था, जिसका उद्देश्य भाजपा की सत्ता में लौटने की संभावनाओं को मजबूत करना था।

2. महिलाओं को सशक्त बनाने की रणनीति
प्रधानमंत्री ने अपनी योजनाओं में महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रमुखता दी, जो एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश है। "नमो ड्रोन दीजिए योजना" और "बीमा सखी स्कीम" जैसी योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं को नए कौशल से लैस करना और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। इस कदम के जरिए मोदी ने उन महिला वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास किया है, जो पारंपरिक रूप से भाजपा से दूर रही हैं। यह योजनाएं न केवल महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करती हैं, बल्कि उन्हें वित्तीय निर्णयों में भी सक्षम बनाती हैं।

3. जल संकट पर जोर और राजनीतिक तंज
जल संकट और नदियों को जोड़ने की योजना पर मोदी ने जो बयान दिए, वे स्पष्ट रूप से कांग्रेस सरकार की नीतियों पर हमला करते हुए भाजपा के विकासात्मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करने का एक तरीका थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेई के नदियों को जोड़ने के विजन का हवाला देते हुए यह दर्शाया कि कैसे भाजपा सरकार जल संकट के समाधान की दिशा में काम कर रही है, जबकि कांग्रेस ने कभी इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए। मोदी का यह बयान केवल कांग्रेस पर आरोप लगाने का तरीका नहीं था, बल्कि यह भाजपा की जल नीति को एक प्रभावी राजनीतिक तर्क के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास था, जिससे ग्रामीण और किसान समुदाय को भाजपा के पक्ष में खड़ा किया जा सके।

4. राजनीतिक एजेंडा और भाजपा की 'विकासवादी' छवि
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में भाजपा की विकासवादी छवि को और भी मजबूत किया, विशेष रूप से सौर ऊर्जा और बिजली क्षेत्र में किए गए समझौतों का जिक्र करते हुए। उन्होंने राजस्थान में किसानों को दिन में बिजली देने की योजना का उल्लेख किया, जो कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से मोदी ने यह संदेश दिया कि भाजपा सरकार किसानों के लिए वास्तविक कदम उठा रही है, जबकि कांग्रेस ने केवल बयानबाजी की है। यह बयान भाजपा के 'किसान समर्थक' एजेंडे को प्रमोट करने का एक राजनीतिक प्रयास था, जो आगामी चुनावों में किसानों के वोट को अपनी तरफ खींचने के उद्देश्य से था।

5. भ्रष्टाचार और विवादों के खिलाफ भाजपा की 'परदर्शिता'
मोदी ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार और नदियों के पानी के मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा की सरकार को विकास और समाधान के पक्ष में बताया। उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत तथा जसवंत सिंह की चर्चा कर एक भावनात्मक एंगल भी जोड़ा, जो उनके समर्थकों को आकर्षित करने का एक तरीका था। उनका यह कदम कांग्रेस के खिलाफ एक ठोस राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें विपक्ष की कमजोरियों को उजागर करने के साथ भाजपा के विकासात्मक और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की छवि को प्रस्तुत किया गया।

6. विकास और सहयोग की राजनीति
मोदी ने राज्य और केंद्र सरकारों के बीच सहयोग की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया, जो राजनीतिक दृष्टिकोण से भाजपा की 'संवेदनशील और सहयोगात्मक' छवि को दर्शाता है। उन्होंने राज्य और केंद्र के मुख्यमंत्रियों के बीच एकजुटता को एक तस्वीर के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे यह संदेश मिला कि भाजपा में सहयोग और समाधान की भावना है, न कि केवल विरोध और विवाद की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जयपुर दौरा एक मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने राजस्थान के विकास के साथ-साथ भाजपा की राजनीतिक मजबूती को भी दर्शाया। विकास कार्यों के साथ राजनीतिक तंज और कांग्रेस के खिलाफ आरोपों के माध्यम से मोदी ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि भाजपा की सरकार 'विकास' और 'संवेदनशीलता' के आधार पर राजनीति कर रही है, जबकि विपक्ष केवल विवादों में फंसा हुआ है। यह कदम भाजपा के लिए राजस्थान में आगामी चुनावों में लाभकारी साबित हो सकता है, खासकर अगर राज्य में विकास की ये योजनाएं जनता तक सही ढंग से पहुंचती हैं और उनके जीवन में सुधार लाती हैं।

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