जयपुर
राजस्थान की सियासत में ऐसा भूचाल आया कि सत्ता और विपक्ष दोनों की ज़मीन हिल गई। विधायक निधि से काम स्वीकृत करने के बदले कमीशनखोरी के गंभीर आरोप सामने आते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पलभर की देरी किए बिना सख्त और निर्णायक कार्रवाई कर दी। तीन विधायकों के विधायक निधि खातों को तत्काल फ्रीज कर दिया गया और पूरे मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी गई है, जो 15 दिन में अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपेगी।
यह कार्रवाई केवल प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि राजनीति में एक साफ संदेश है भ्रष्टाचार में कोई रंग, कोई दल, कोई ओहदा नहीं देखा जाएगा।”
विधायक निधि घोटाले में खींवसर से भाजपा विधायक रेवतराम डांगा, हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव और बयाना से निर्दलीय विधायक डॉ. ऋतु बनावत के नाम सामने आए हैं। आरोप है कि इन विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में विधायक निधि से काम स्वीकृत कराने के बदले कमीशन की मांग की। जैसे ही मामला सार्वजनिक हुआ, सरकार हरकत में आई और संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के फंड पर ताला लगा दिया गया।
बता दे की विधायक निधि में भ्रष्टाचार को लेकर अब तक का सबसे बड़ा स्टिंगनुमा खुलासा हुआ है, जिसमें विकास कार्यों की अनुशंसा के नाम पर माननीयों द्वारा खुलेआम 40 प्रतिशत कमीशन मांगे जाने का दावा किया गया है। इस स्टिंग में एक डमी फर्म के प्रोपराइटर बनकर विधायकों से संपर्क कर खुद को खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से संबद्ध बताते हुए विधायक निधि से स्कूलों में दरी/कारपेट सप्लाई का प्रस्ताव रखा। न तो काम की वास्तविक जरूरत पर चर्चा हुई और न ही लागत पर विधायकों का फोकस केवल एक सवाल पर रहा कि “हमें कितना प्रतिशत मिलेगा?” स्टोरी के मुताबिक खींवसर से भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा ने 40 प्रतिशत कमीशन के बदले 50 लाख रुपए का काम देने की बात कही, वहीं हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव ने 50 हजार रुपए एडवांस लेकर 80 लाख रुपए के काम का अनुशंसा पत्र जारी कर दिया। उधर, बयाना से निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत के पति ने 40 लाख रुपए की डील फाइनल करने का दावा किया। डांगा और अनीता की ओर से जिला परिषद के सीईओ के नाम अनुशंसा पत्र भी दिए गए। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में प्रत्येक विधायक को ‘विधानसभा सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ के तहत सालाना 5 करोड़ रुपए मिलते हैं, जिसका उद्देश्य जनकल्याण है, न कि कमीशनखोरी।
पड़ताल में विधायक निधि में कमीशनखोरी की तस्वीर और भी बेनकाब होती दिखी। खींवसर से भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा ने रिपोर्टर से बातचीत में न सिर्फ सौदे की खुली बातचीत की, बल्कि अधिकारियों को “थोड़ा-थोड़ा देने” की बात भी कही। डांगा ने 10 लाख रुपए एडवांस लेने और 50 लाख रुपए का अनुशंसा पत्र देने की पेशकश करते हुए कहा कि कई कामों में तो 40 प्रतिशत कमीशन चलता है। जब रिपोर्टर ने 25 से 30 प्रतिशत की बात की, तो डांगा ने अपने लंबे राजनीतिक अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि वे पूरा सिस्टम समझते हैं और अधिकारियों को राजी करना पड़ेगा, वरना वे अड़ंगा लगा देंगे।
दूसरी ओर, हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव ने अधिकारियों द्वारा पहले काम अटकाने की शिकायत करते हुए सीधे डील पर हामी भरी। जयपुर स्थित आवास पर बातचीत के दौरान उनके करीबी पवन शर्मा ने सौदे की कमान संभाली। 40 प्रतिशत कमीशन पर सहमति बनी, 50 हजार रुपए का टोकन लिया गया और अनीता जाटव ने 80 लाख रुपए के काम का साइन किया हुआ अनुशंसा पत्र थमा दिया।
वहीं, बयाना से निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत ने बजट का हवाला देते हुए सीधे डील से दूरी बनाई, लेकिन उनके पति ऋषि बंसल ने अलग कमरे में रिपोर्टर से बातचीत कर 40 लाख रुपए की डील फाइनल कर दी। बातचीत में जिला परिषद के सीईओ को “देख लेने” की बात कही गई, हालांकि टोकन के तौर पर दिए गए 50 हजार रुपए यह कहकर लौटा दिए गए कि काम होने पर ही रकम ली जाएगी। यह पूरी बातचीत विधायक निधि को जनकल्याण की योजना से ज्यादा कमीशनखोरी का जरिया बनाने की मानसिकता को उजागर करती है, जिसने राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर बयान जारी कर साफ शब्दों में कहा कि विधायक निधि में भ्रष्टाचार के आरोप अत्यंत गंभीर हैं। उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ पूर्णत: जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है।
सीएम ने दो टूक कहा“जनता का पैसा जनकल्याण के लिए होता है, किसी की जेब भरने के लिए नहीं। दोषी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा।”
सीएम के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता मुख्य सतर्कता आयुक्त (ACS गृह) भास्कर सावंत करेंगे। समिति में पंचायतीराज सचिव जोगाराम और वित्त (बजट) सचिव राजन विशाल सदस्य होंगे, जबकि विशिष्ट शासन सचिव गृह मनीष गोयल को सदस्य सचिव बनाया गया है।
समिति को स्पष्ट निर्देश हैं कि 15 दिन के भीतर निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए। जांच पूरी होने तक किसी भी तरह का वित्तीय लेन-देन नहीं होगा।
घोटाले की आंच कांग्रेस तक पहुंचते ही पार्टी के भीतर भी हलचल तेज हो गई। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने हिंडौन विधायक अनीता जाटव के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को पत्र लिखकर 7 दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस तीन सदस्यीय जांच समिति बनाएगी। यदि विधायक दोषी पाई जाती हैं, तो संगठनात्मक स्तर पर कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि विधायक जनता के ट्रस्टी होते हैं और विधायक निधि में भ्रष्टाचार लोकतंत्र पर सीधा हमला है। उन्होंने मांग की कि दोषी चाहे किसी भी दल का हो, उसे बख्शा न जाए और पूरी सच्चाई जनता के सामने लाई जाए।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मामले को सदाचार समिति को सौंपते हुए शीघ्र रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों द्वारा अधिकारों का दुरुपयोग लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ है और दोषियों पर कार्रवाई तय है।
वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम के त्वरित एक्शन को सराहनीय बताते हुए निष्पक्ष जांच की उम्मीद जताई।
विधायक निधि घोटाला अब सिर्फ एक जांच का मामला नहीं रहा, बल्कि यह राजस्थान की राजनीति में जवाबदेही की अग्निपरीक्षा बन चुका है। मुख्यमंत्री के कड़े कदमों से यह स्पष्ट है कि सत्ता में रहकर भी कोई कानून से ऊपर नहीं। आने वाले 15 दिन तय करेंगे कि यह कार्रवाई केवल संदेश बनेगी या भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई राजनीतिक लकीर खींचेगी।









