नई दिल्ली
भारत में युवाओं में अचानक होने वाली मौतों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक संयुक्त शोध अध्ययन ने इस पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है. शोध के प्रारंभिक निष्कर्षों में कहा गया है कि इन मौतों का कोविड-19 टीकाकरण से कोई संबंध नहीं है.
एम्स दिल्ली के पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर अरावा ने इस शोध के परिणामों की जानकारी साझा करते हुए बताया कि अचानक होने वाली मौतों का कोविड-19 वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने युवाओं में अचानक होने वाली मौतों के कारणों का विश्लेषण किया और पाया कि इसका मुख्य कारण दिल का दौरा था. जब कोरोनरी धमनियां अवरुद्ध हो जाती हैं, तो हृदय का सामान्य कामकाज रुक जाता है, जिसके कारण अचानक मौत हो जाती है. बता दें, यह अध्ययन एक वर्षीय शोध पर आधारित था और इसके परिणाम आईसीएमआर की एक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. शोध में यह भी स्पष्ट किया गया कि अब तक भारत में इस तरह की अचानक मौतों का कोई दस्तावेजीकरण नहीं हुआ था, हालांकि, एम्स के शोध में इसे दर्ज किया गया है.
जीवनशैली का पड़ रहा युवाओं पर असर
डॉ. अरावा ने युवाओं में अचानक मौतों के अन्य संभावित कारणों को समझाते हुए कहा कि जीवनशैली एक बड़ा कारण हो सकता है. आजकल युवाओं में अत्यधिक शराब का सेवन, अनियमित खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी देखी जा रही है, जो दिल के दौरे का कारण बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें अपनी जीवनशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है. डॉ. अरावा ने आगे यह भी बताया कि आनुवंशिक विश्लेषण पर आधारित शोध भी जारी है और इसके परिणामों से इस मुद्दे के और पहलू सामने आ सकते हैं.
इस बीच जब शोधकर्ताओं से पूछा गया कि क्या कोविड-19 वैक्सीनेशन और युवाओं की अचानक मौतों के बीच कोई संबंध है, तो डॉ. अरावा ने कहा कि हमने इस संभावना को भी ध्यान में रखा था, लेकिन हमारे शोध से यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि इन मौतों का कोविड-19 वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं है. इस शोध ने यह साबित कर दिया है कि कोविड-19 टीकाकरण युवाओं में अचानक मौतों का कारण नहीं है.









