भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) को विंध्य इलाके से एक बड़े झटके के साथ राहत की खबर भी आई है. विंध्य का शेर कहे जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी (Siddharth Tiwari) कांग्रेस छोड़ (leaves Congress) बीजेपी (joins BJP) में शामिल हो गए. वहीं दूसरी ओर दो माह पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाने वाले अभय मिश्रा (Abhay Mishra) और उनकी पत्नी नीलम मिश्रा (his wife Neelam Mishra) ने फिर से कांग्रेस में वापसी की है।
यहां बताते चले कि भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में सिद्धार्थ तिवारी ने आज बुधवार को बीजेपी की सदस्यता ली.वहीं, मिश्रा दंपत्ति ने बीजेपी से इस्तीफा देने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल की है.उनकी आज दिल्ली में मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला से मुलाकात भी हुई थी।
दरअसल,सिद्धार्थ तिवारी रीवा लोकसभा सीट से वर्ष 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी सिद्धार्थ तिवारी को रीवा से विधानसभा का टिकट दे सकती है. सिद्धार्थ तिवारी के साथ पन्ना की गुन्नौर सीट से पूर्व विधायक फुंदरलाल चौधरी भी बीजेपी में शामिल हो गए.भोपाल में बीजेपी दफ्तर में सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा से प्रभावित होकर यह निर्णय लिया है.देश और प्रदेश का जो विकास भाजपा के शासनकाल में हुआ है.उसके कारण वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
यहा बताते चले कि विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के पहले विंध्य में कांग्रेस को पूर्व विधायक अभय मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम मिश्रा ने झटका देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया था. लेकिन, आज फिर उन्होंने अचानक से कांग्रेस में वापसी करते हुए बीजेपी को छोड़ दिया. सोशल मीडिया में वायरल अभय मिश्रा के इस्तीफे में लिखा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाथ में जल उठाकर वचन दिया था कि टिकट देंगे.लेकिन कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के दबाव में चौहान अब अपने वादे से मुकर गए है.वहीं,उन्होंने लिखा है कि कमलनाथ ने टिकट देने का वादा किया था लेकिन मैं खुद ही गलती कर बैठा और आवेश में आकर निर्णय ले बैठा.फिलहाल मैं कांग्रेस के साथ हूं।
यहां बताते चलें कि साल 2018 के चुनाव में विंध्य इलाके की 30 सीटों में से बीजेपी को 26 सीट मिली थी.इस बार पुराने नतीजे को दोहराना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है.वहीं,कांग्रेस में नेताओं की बढ़ती नाराजगी उसकी राह कठिन कर सकती है।