सन्तोष सिंह तोमर
ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित तमाम भाजपा नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती पर गुरुवार को श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्पित किये श्रद्धा सुमन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, ”राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी को उनकी जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। उन्होंने अपना पूरा जीवन जन कल्याण और राष्ट्रसेवा को समर्पित कर दिया। गरीबों और वंचितों के लिए उनके प्रयास सशक्त भारत के निर्माण में हर किसी को प्रेरित करने वाले हैं।”
केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह ने राजमाता को किया नमन
राजमाता विजयाराजे सिंधिया को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लिखा। – “राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी ने राजसी सुखों को त्याग कर देश और संगठन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। आपातकाल के समय उन्होंने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए अंहकारी शासन की अनेक यातनाओं को सहा, लेकिन फिर भी निरंतर संघर्ष करती रहीं। राजमाता जी का त्याग और संगठन के लिए समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणापुंज है। राजमाता सिंधिया जी की जयंती पर उन्हें नमन।”
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दी राजमाता को श्रद्धांजलि
राजमाता विजयाराजे सिंधिया को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा। – “प्रेम, करुणा और त्याग की त्रिवेणी, मध्यप्रदेश का गौरव, श्रद्धेय राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जयंती पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूँ। अपने जीवन के एक-एक क्षण को उन्होंने राष्ट्र उत्थान और लोककल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। सौभाग्य से मुझे सेवा, स्नेह और समर्पण की प्रतिमूर्ति अम्मा महाराज जी के वात्सल्य की छाया और सानिध्य का सुख प्राप्त हुआ। आपके आशीर्वाद से स्वर्णिम, शिक्षित और समर्थ मध्यप्रदेश के निर्माण के स्वप्न को हम साकार करेंगे।”
राजमाता विजयाराजे सिंधिया राजतंत्र से लोकतंत्र तक
12 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता रहीं राजमाता विजया राजे सिंधिया का जन्म दिवस है। वे जनसंघ की प्रमुख नेताओं में से एक थीं। उनका जन्म सन् 1919 में हुआ था। विजया राजे सिंधिया जो कि ग्वालियर की राजमाता के रूप में लोकप्रिय थी, विजया राजे अपने राजनीतिक सफर में हिंदुत्व के मामले में काफी मुखर थीं। विजयाराजे, जनसंघ में शामिल होने से पहले कांग्रेस का हिस्सा थीं। विजयाराजे सिंधिया एक प्रमुख भारतीय राजशाही व्यक्तित्व के साथ-साथ एक राजनीतिक व्यक्तित्व भी थी। ब्रिटिश राज के दिनों में, 21 फरवरी 1941 को, ग्वालियर के आखिरी सत्ताधारी महाराजा जिवाजीराव सिंधिया की पत्नी के रूप में, वह राज्य के सर्वोच्च शाही हस्तियों में शामिल हो गईं। बाद में, भारत से राजशाही समाप्त होने पर वे राजनीति में उतर गई और कई बार भारतीय संसद के दोनों सदनों में चुनी गई। वह कई दशकों तक जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय सदस्य भी रही। विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद पार्टी से उनका मोहभंग हो गया। विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया। विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ काफी मजबूत हुआ। वर्ष 1971 में पूरे देश में जबरदस्त इंदिरा लहर होने के बावजूद जनसंघ ने ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत हासिल की। विजयाराजे सिंधिया भिंड से, उनके पुत्र माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से सांसद बने।