बालाघाट प्रदेश के सर्वाधिक धान उत्पादक एवं धान का कटोरा कहे जाने वाले बालाघाट जिले में 1 जनवरी 2024 तक समर्थन मूल्य पर 2590207.07 क्विंटल धान खरीदी जा चुकी है।
खरीदी गई धान का मूल्य 565 करोड़ 44 लाख रुपये आका गया है।
आनंद ताम्रकार
बालाघाट । जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के सीईओ श्री आर सी पटले द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस वर्ष धान उपार्जन किये जाने हेतु 117596 किसानों ने अपना पंजीयन करवाया है। जिसके तारतम्य में 86501 स्लॉट बुक किये जा चुके है। इस प्रकार अब तक 51994 किसानों ने अपनी धान की उपज बिक्री की है। धान खरीदी का क्रम निरंतर जारी है।
खरीदी केन्द्रों से धान का परिवहन भी त्वरित गति से किया जा रहा है। इस वर्ष की गई व्यवस्था के अनुसार खरीदी केंद्र से ही कस्टम मिलिंग किये जाने हेतु अनुबंधित राईस मिलर्स को सीधे धान का परिवहन किया जा रहा है।
समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली धान जिले के अनुबंधित राईस मिलर्स को दी जा रही है साथ ही प्रदेश के हरदा सीहोर धार भोपाल सहित अनेक जिलों से अनुबंधित राईस मिलर्स को बालाघाट जिले से धान कस्टम मिंलिग के लिये प्रदाय की जा रही है इस संबंध में जिला विपणन अधिकारी श्री हिरेन्द्र रघुवंशी ने अवगत कराया की अब तक 1 लाख 15 हजार मैट्रिक टन धान का अनुबंध बालाघाट जिले के बाहर अन्य जिलों के राईस मिलों ने करवाया है जिन्हे धान प्रदाय की जायेगी।
बालाघाट जिला राईस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र भगत ने बालाघाट जिले नवनिर्वाचित विधायकों सहित विपणन संघ के जिला प्रबंधक को पत्र लिखकर बालाघाट जिले से बाहर अन्य जिलों के राईस मिलर्स को धान प्रदाय किये जाने के निर्णय को असंगत बताते हुये कहा है की इसके कारण जिले के राईस मिलर्स के सामने जिविका का संकट उत्पन्न हो जायेगा।
उन्होने अवगत कराया के जिले के लगभग 110 राईस मिलर्स शासकीय धान मिलिंग पर निर्भर है वर्तमान में विपणन संघ द्वारा खरीदी केन्द्रों से खरीदी गई धान सीधे रायसेन धार एवं अन्य जिलों के मिलर्स को भेजी जा रही है।
जबकी बालाघाट जिले में स्थित केप और गोदाम अभी भी खाली है और जिले के राईस मिलर्स उपार्जन केंद्र से धान को उठाव कर त्वरित गति से चावल मिलिंग कर रहे है धान की मिलिंग कर चावल जमा करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2024 नियत की गई है इन परिस्थितियों के आधार पर बालाघाट जिले के राईस मिलर्स से खरीदी गई धान की मिलिंग उनकी क्षमता के अनुरूप करवाया जाये ताकी राईस मिलर्स और उनके उद्योग से जुड़े श्रमिकों को रोजगार सुलभ हो सके।
उन्होने पत्र में यह भी उल्लेख किया है की शासन की मिलिंग नीति के अनुसार जिस जिले में धान का उत्पादन नहीं होता उस जिले से करीबी जिले के धान उत्पादक जिलों से धान की आपूर्ति की जायेगी।
बालाघाट जिले से 700 किलोमीटर दूर स्थित जिलों में धान भेजने पर परिवहन व्यय का अतिरिक्त भार शासकीय खजाने पर पड़ेगा अतएव बालाघाट जिले के राईस मिलर्स के हित में उचित निर्णय लिया जाये और जिले के बाहर धान भेजने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाये।