The Game of Commission in Forest Department.
उदित नारायण
भोपाल। वन विभाग में कमीशनबाजी का खेल बदस्तूर जारी है।
निर्वतमान वन मंत्री विजय शाह ने अपने कार्यकाल में कमीशनबाजी के खेल पर रोक लगाने की मंशा से प्रदेश स्तर पर एकजाई टेंडर करने के आदेश जारी किए थे। अफसरों ने उनके आदेश को धुंआ में उड़ाते वनमंडल स्तर पर खरीदी का क्रम जारी रखा है। ताज़ा मामला मंडला पूर्व और मंडला पश्चिम का है। दोनों ही वनमंडल की कमान एक ही अफसर के हाथ में है.
यही वजह है कि डीएफओ ने अपने चहेते सप्लायर्स जैन बंदुओं को बिल्डिंग मैटेरियल्स और नीमखली गोबर खाद और उपजाऊ मिट्टी प्राय करने का वर्क आर्डर जारी कर दिया। सूत्रों के अनुसार डीएफओ को खरीदारी की इतनी जल्दबाजी थी कि वर्क आर्डर पहले जारी कर दिया और टेंडर बाद में बुलाई। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यालय से आदेश जारी है कि वर्मी खाद और नीमखली अनुसंधान एवं विस्तार शाखा से ही खरीदा जाए किंतु विभाग की शाखा से खरीदने पर कमीशन बाजी का खेल नहीं हो पता,
इसलिए निविदा कर मार्केट से खरीदी की जा रही है, वह भी डीएफओ के पसंदीदा गगन जैन के फर्म से खरीदने का फरमान है। डीएफओ ने निविदा 15 दिसंबर को बुलवाई और वर्क आर्डर 14 दिसंबर को ही कर दिया। बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई का ऑर्डर भी अचल जैन की फर्म को दिया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि पौधारोपण के कार्य अनुसंधान एवं विस्तार शाखा के द्वारा किया जाता है। मंडल वन मंडल में यह कार्य टेरिटोरियल डीएफओ कर रहे हैं. डीएफओ नित्यानंद ने पश्चिमी वन मंडल के लिए नीम खली गोबर खाद और उपजाऊ मिट्टी सप्लायर का ठेका गगन जैन की फर्म को दिया है। इन सामग्रियों की खरीदी मार्केट दर से कई गुना अधिक है।
पश्चिमी वन मंडल में खरीदी का लेखा-जोखा
नीम खली 7350 कुंटल
गोबर खाद 881 कुंटल
उपजाऊ मिट्टी 1742 कुंटल