The corruption in the purchase of tickets in the BTR is a celebration for the officials more than Diwali.
उदित नारायण
बांधवगढ़:- टाइगर रिजर्व में स्थानीय स्तर पर रोजगार के लाले पड़े हैं, और यहां अधिकारियों की जमकर कमाई का आरोप लगा है। स्थानीय जनों में पर्यटकों के टिकट के कालाबाजारी का चर्चा जोरों पर है। विभाग के कर्मचारियों के ऊपर चहेतों और पूंजीपतियों के दबाव में टिकट का बड़ा खेल किया जा रहा है, लेकिन कार्यवाही के नाम पर मामले में वरिष्ठ अधिकारियों ने भी चुप्पी साध रखी है। लिहाजा स्थानीय जनों की माने तो उनके अनुसार टिकट के कालाबाजारी के इस खेल में नीचे से ऊपर तक कि कड़ी के संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है, जिसका खामियाजा दूर से आने वाले सैलानियों को उठाना पड़ता है और बांधवगढ़ की सफारी का सपना बुनकर आने वाले पर्यटक बगैर सैर के ही वापस लौट जाते हैं। वीआईपी टिकट के नाम पर किये जाने वाले इस कारनामे ने बीटीआर की समूची व्यवस्था ही चौपट कर दी है।
कारनामे का कौन है जिम्मेदार –
बांधवगढ़ में कई पूंजीपतियों के रिसोर्ट हैं, साथ ही कई बड़े पहुंच का दम भरने वाले वे लोग भी जो टिकट बुकिंग का काम करते हैं। दिवाली की इस भीड़ में जहां लोगों को सफारी के लिए मसक्कत करनी पड़ रही थी, तो वहीं उक्त लोग टिकट का जुगाड़ बीटीआर के कर्मचारियों के सह पर बना रहे थे। बांधवगढ़ में इससे पूर्व भी टिकट के कालाबाजारी के कारनामे से पर्दा उठ चुका है, लेकिन टिकट का खेल ज्यों का त्यों अभी भी जारी है। सूत्रों के मुताबिक़ वीआईपी के नाम पर टिकट की बुकिंग कर गाढ़ी कमाई की जा रही है, इसमें बीटीआर के कई अधिकारियों की संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है। यही नहीं हर विभाग के जिम्मेदार मिलकर राजस्व को चुना लगाने में जुटे हैं, वहीं सैलानियों को भी सफारी के लिए कई कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है।
अफसर ही लूट के कटघरे में –
पूंजीपति रिसोर्ट सञ्चालक अपने रसूख के बल पर टिकट तो बुक कर लेते हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर सक्रीय कुछ दलाल बड़े अधिकारी और वीआईपी के नाम पर टिकट लेकर महंगे दामों में पर्यटकों को सफारी करा रहे हैं। यही नहीं कई वर्षों से एक ही स्थान पर जमें स्थानीय शासकीय विभागों के कर्मीयों पर भी टिकट कालाबाजारी के आरोप लग रहे हैं, इन कर्मियों द्वारा शासकीय प्रोटोकॉल वाहनों को भी पर्यटक सफरी के लिए उपयोग कर कमाई का जरिया बना लिया गया है। जिस तरह से व्यापक पैमाने पर अधिकारियों और अन्य वीआईपी के कोटे की टिकटों के नाम पर खेला किया जा रहा है उससे समूची व्यवस्था चौपट हो रही है साथ ही पर्यटन से मिलने वाले राजस्व की हानि भी हो रही है। स्थानीय लोगों की मांग है कि वीआईपी के नाम पर जितनी भी टिकट बुकिंग हुई है उनकी जांच कर दी जाए तो मामले में शामिल अधिकारियों और व्यक्तियों के नामों का खुलासा हो जाएगा।