जिस लॉन्च पैड से नील आर्मस्ट्रांग की यात्रा शुरू हुई थी, वहीं से शुभांशु ने रचा इतिहास

 नईदिल्ली / कैनेडी 

भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत तीन अन्य यात्री एक्सिओम मिशन-4 की उड़ान पर निकल चुके हैं. जानकारी के मुताबिक उनकी यह यात्रा करीब 28 घंटे की है. वे गुरुवार शाम करीब 4 बजकर 30 मिनट पर इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर लैंड करेंगे.

बता दें, शुभांशु शुक्ला 14 दिनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहेंगे. पूरा देश उनकी कामयाबी की दुआ कर रहा है. इस मौके पर भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला ने कहा कि हम इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते. हम बिल्कुल भी डरे हुए नहीं हैं. हम खुश हैं, हमें बहुत गर्व है.

शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष के रास्ते से पहला संदेश मेरे कंधे पर मेरा तिरंगा है

भारत के शुभांशु शुक्ला के साथ ही तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर एक्सिओम-4 मिशन, कैनेडी स्पेस सेंटर के कॉम्प्लेक्स 39ए से उड़ान भर चुका है. स्पेसक्राफ्ट ने ठीक दोपहर 12.01 बजे (भारतीय समयानुसार) उड़ान भरी. स्पेसक्राफ्ट के अंदर से शुभांशु शुक्ला ने पहला मैसेज दिया. उन्होंने कहा कि नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियो, what a ride… 41 साल बाद हम वापस अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं. और कमाल की राइड थी. इस समय हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से पृथ्वी के चारों तरफ घूम रहे हैं. मेरे कंधे पर मेरे साथ मेरा तिरंगा है, जो मुझे बता रहा है कि मैं अकेला नहीं हूं, मैं आप सबके साथ हूं. 

शुभांशु शुक्ला ने स्पेसक्राफ्ट के अंदर से कहा कि ये मेरी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक की जर्नी की शुरुआत नहीं है, ये भारत की ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत है. और मैं चाहता हूं कि सभी देशवासी इस यात्रा का हिस्सा बनें. आपका भी सीना गर्व से चौड़ा होना चाहिए. आप भी उतना ही एक्साइटमेंट दिखाइए. आइए हम सब मिलकर भारत की इस ह्यूमन स्पेस जर्नी की शुरुआत करें. धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत.

बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंचने के बाद वे स्टेशन का दौरा करने वाले पहले भारतीय बन जाएंगे और राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे. 28 घंटे की यात्रा के बाद अंतरिक्ष यान के गुरुवार शाम करीब 04:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से डॉक होने की उम्मीद है. 

वहीं, उनके पिता शंभूनाथ शुक्ला ने कहा कि उनका मिशन दोपहर 12 बजे के आसपास लॉन्च होने वाला है. हम उनके मिशन के लॉन्च को देखने के लिए बहुत उत्सुक हैं. हम बहुत खुश हैं. हमारा आशीर्वाद उनके साथ है, और हम ईश्वर से भी प्रार्थना करते हैं कि उनका मिशन अच्छे से पूरा हो. वह पूरी तरह से तैयार हैं. उनके लिए लगाए गए सभी पोस्टर देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. वह लखनऊ, उत्तर प्रदेश और हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं. हमें उन पर गर्व है.

शुभांशु शुक्ला की बहन निधि मिश्रा ने कहा कि यह न केवल मेरे लिए बल्कि भारत में सभी के लिए गर्व का क्षण है. मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती. मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि 'शुभांशु, आपका मिशन सफल हो और आप सुरक्षित वापस हमारे पास आएं. मुझे अच्छा लग रहा है और मैं उम्मीद कर रही हूं कि वह अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा करके जल्द ही हमारे पास वापस आ जाएगा ताकि मैं उसे एक बार फिर गले लगा सकूं. उन्होंने कहा कि मेरा भाई कहता है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. इस दुनिया में आपको कुछ भी आसानी से नहीं मिलता. आज हम जो कुछ भी देख रहे हैं, उसके पीछे बहुत मेहनत है. मैं अभी अपने भाई के लिए थोड़ी भावुक हूं.

 नील आर्मस्ट्रांग की यात्रा शुरू हुई थी, वहीं से शुभांशु ने रचा इतिहास 

कैनेडी स्पेस सेंटर का लॉन्च पैड 39 नासा के सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक लॉन्च स्थलों में से एक है. यह वही जगह है, जहां से 1969 में नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथी चंद्रमा के लिए रवाना हुए थे. अब, 25 जून 2025 को, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इसी लॉन्च पैड 39A से ऐक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरेंगे. यह भारत के लिए गर्व का क्षण है. आइए, इस ऐतिहासिक लॉन्च पैड में जानते हैं. 

कैनेडी स्पेस सेंटर और लॉन्च पैड 39 

कैनेडी स्पेस सेंटर (KSC) अमेरिका के फ्लोरिडा में मेरिट द्वीप पर स्थित है. इसे 1962 में नासा के अंतरिक्ष मिशनों के लिए बनाया गया था. लॉन्च पैड 39, जिसमें दो हिस्से हैं—39A और 39B—विश्व के सबसे महत्वपूर्ण अंतरिक्ष लॉन्च स्थलों में से एक है. इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं और ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं… 

नील आर्मस्ट्रांग की चंद्रमा यात्रा

16 जुलाई 1969 को, लॉन्च पैड 39A से अपोलो 11 मिशन लॉन्च हुआ, जिसमें नील आर्मस्ट्रांग, बज़ एल्ड्रिन, और माइकल कॉलिन्स चंद्रमा के लिए रवाना हुए. आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर पहला कदम रखकर इतिहास रचा और कहा कि यह मेरे लिए एक छोटा कदम है, लेकिन मानवता के लिए एक बड़ी छलांग.

अपोलो मिशन

लॉन्च पैड 39A और 39B ने 1967 से 1973 तक सभी अपोलो मिशनों को लॉन्च किया, जो चंद्रमा की यात्रा के लिए बनाए गए थे. इसके बाद, इसने स्कायलैब और अपोलो-सोयूज़ मिशनों को भी समर्थन दिया.

स्पेस शटल प्रोग्राम

1981 से 2011 तक, लॉन्च पैड 39 ने नासा के स्पेस शटल मिशनों के लिए काम किया. कुल 135 स्पेस शटल मिशन, जैसे डिस्कवरी, अटलांटिस और चैलेंजर यहीं से लॉन्च हुए.

स्पेसएक्स का योगदान

2008 से, लॉन्च पैड 39A को स्पेसएक्स ने लीज पर लिया है. स्पेसएक्स ने इसे फाल्कन 9 और फाल्कन हैवी रॉकेट्स के लिए बनाया किया है. आज, यह निजी अंतरिक्ष मिशनों का केंद्र बन गया है.

शुभांशु शुक्ला का मिशन और लॉन्च पैड 39A

शुभांशु शुक्ला का मिशन, ऐक्सिओम मिशन-4 (Ax-4), लॉन्च पैड 39A से 25 जून 2025 को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे पर लॉन्च होगा. यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि शुभांशु पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे जो ISS पर जाएंगे. आइए, इस मिशन के महत्वपूर्ण पहलुओं को देखें…

मिशन का विवरण: Ax-4 एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जिसे ऐक्सिओम स्पेस, नासा और स्पेसएक्स मिलकर संचालित कर रहे हैं. शुभांशु मिशन के पायलट होंगे और उनके साथ कमांडर पेगी व्हिटसन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री), पोलैंड की स्लावोश उज्नी और हंगरी की तिबोर कपु होंगे. यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च होगा.

28 घंटे की यात्रा: ड्रैगन अंतरिक्ष यान को ISS तक पहुंचने में लगभग 28 घंटे लगेंगे. यह समय कक्षा समायोजन, सुरक्षा जांच और सटीक डॉकिंग प्रक्रिया के कारण लगता है. ड्रैगन को ISS की कक्षा के साथ तालमेल बिठाने के लिए कई फेजिंग मैन्यूवर्स करने पड़ते हैं, जो समय लेते हैं.

ISS पर शुभांशु का कार्य: शुभांशु ISS पर 14 दिन तक रहेंगे, जहां वह 7 भारतीय और 5 नासा वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. इनमें मूंग और मेथी उगाने, मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव का अध्ययन और योग जैसे प्रयोग शामिल हैं. वह भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे, जैसे मिठाइयां और एक खिलौना हंस ("जॉय") ले जाएंगे.

लॉन्च पैड 39A का महत्व: लॉन्च पैड 39A का उपयोग नील आर्मस्ट्रांग जैसे ऐतिहासिक मिशनों के लिए हुआ है. अब यह शुभांशु के मिशन का प्रारंभ बिंदु है, जो भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा. यह पैड आधुनिक तकनीक और ऐतिहासिकता का अनूठा संगम है.

लॉन्च पैड 39A की तकनीकी विशेषताएं

लॉन्च पैड 39A को बड़े और जटिल अंतरिक्ष मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी कुछ खास विशेषताएं हैं…

    क्रॉलर-ट्रांसपोर्टर: यह एक विशाल मशीन है, जो रॉकेट्स को असेंबली बिल्डिंग से लॉन्च पैड तक ले जाती है. यह 3,000 टन तक वजन उठा सकती है.

    लॉन्च टावर: पैड 39A का लॉन्च टावर फाल्कन 9 जैसे रॉकेट्स को ईंधन भरने, पेलोड जोड़ने और लॉन्च करने में मदद करता है.

    सुरक्षा सुविधाएं: पैड में आपातकालीन निकास प्रणाली और अग्निशमन उपकरण हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.

    स्पेसएक्स का अनुकूलन: स्पेसएक्स ने पैड को फाल्कन 9 और ड्रैगन के लिए बदला है, जिसमें स्वचालित डॉकिंग और लैंडिंग सिस्टम शामिल हैं.

एक्सिओम मिशन-4 (Axiom Mission 4) के ग्रुप कैप्टन हैं शुभांशु शुक्ला
जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक Axiom Mission 4 में शुभांशु शुक्ला के साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री भी जाएंगे. शुभांशु शुक्ला इस मिशन को लीड कर रहे हैं. इनके अलावा अमेरिका के कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्ज्रन्स्की विस्रिएव्स्की और हंगरी के मिशन एक्सपर्ट टिबोर कापू भी शामिल हैं. यह एक्सिओम मिशन-4 भारत के इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की संयुक्त पहल है. राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय हैं, जो अंतरिक्ष में जाएंगे. करीब 4 दशक बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में कदम रखने जा रहा है.

शुभांशु शुक्ला के बारे में जानिए
भारती वायुसेना में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था. इनके पिता का नाम शंभू दयाल शुक्ला और माता का नाम आशा शुक्ला है. ये अपने परिवार में तीन भाई-बहिनों में सबसे छोटे हैं. पूरा परिवार बेहद खुश है. बता दे, शुभांशु शुक्ला के पास मिग, जगुआर सहित कई विमानों को उड़ाने का अनुभव है. शुभांशु शुक्ला इसरों के गगनयान मिशन के चुने गए 4 अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक शुभांशु एएन-32, जगुआर हॉक मिग-21 मिग-29 और एसयू-30 एमकेआई जैसे विमान उड़ा चुके हैं. वहीं, शुभांशु दो हजार घंटे की उड़ान का भी रिकॉर्ड बना चुके हैं. शुभांशु शुक्ला 2005 में एनडीए में सेलेक्ट हुए थे और जून 2006 में भारतीय वायुसेन में कमीशंड हुए थे. साल 2019 में इनका विंग कमांडर के पद पर प्रमोशन हुआ.

पीएम मोदी ने की थी घोषणा
बता दें, पीएम मोदी ने साल 2018 में लाल किले से इस बात की घोषणा की थी कि भारत के सपूत अंतरिक्ष में जाएंगे. इसके बाद ही शुभांशु शुक्ला को साल 2019 में इसरो के अंतरिक्ष यात्री चयन प्रॉसेस में सेलेक्ट किया गया. पिछले साल 2024 में शुभांशु शुक्ला को भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन बनाया गया.

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