जल्द पूरा होगा भारत का सपना, लॉन्च होने वाला है ISRO का SPADEX मिशन… जानिए क्यों है खास ?

चेन्नई
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वर्ष 2024 शानदार  विदाई देने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुये अपने दोहरे रिकॉर्ड कायम करने वाले ‘स्पैडेक्स’ अंतरिक्ष मिशन के लिए उलटी गिनती काम आज से शुरू करेगा। इसके तहत पहली अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक पर – स्पैडेक्स उपग्रह से जुड़ी डॉकिंग और अनडॉकिंग श्रृंखला है और दूसरा पीएसएलवी-सी60 प्रक्षेपण यान पर पीओईएम-4 के हिस्से के रूप में 24 वैज्ञानिक प्रयोगों का पीएसएलवी का चौथा चरण शामिल है।

पीएसएलवी-सी60 स्पैडेक्स मिशन का प्रक्षेपण 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा के पहले अंतरिक्ष बंदरगाह पर पैड से 2158 बजे निर्धारित है। पीएसएलवी मिशन के लिए उलटी गिनती का काम जो आम तौर पर 24 से 25 घंटे का होता है, कल से शुरू होने की उम्मीद है, जिसके दौरान चार चरण वाले वाहन में प्रणोदक भरने का कार्य किया जाएगा।

इसरो ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, प्रक्षेपण के करीब एक कदम और बढ़ाते हुये स्पैडेक्स के प्रक्षेपण यान के साथ दो उपग्रह एकीकृत हो गए है। कहा गया, “एकीकरण मील का पत्थर है, एसडीएससी शार ‘लिफ्टऑफ़’ के एक कदम और करीब स्पैडेक्स उपग्रहों को पीएसएलवी-सी60 के साथ सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है।”

बताया गया,“ पीएसएलवी-सी60 पर पहली बार पीआईएफ सुविधा में पीएस 4 (चौथे चरण इंजन) तक पूरी तरह से एकीकृत कर इसे पहले लॉन्च पैड पर ले जाया गया।”
इसरो अपने पहले सफल अंतरिक्ष डॉकिंग प्रदर्शन के साथ वर्ष 2024 की शानदार विदाई करने के लिए उत्सुक है, क्योंकि यह अग्रणी मिशन भारत को चौथा देश बनने के लिए प्रेरित करेगा। इससे दुनिया को पता चलेगा कि देश जटिल अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल कर रहा है”

इसरो के लिए यह एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व मिशन होगा जिसके तहत अंतरिक्ष डॉकिंग प्रदर्शन के लिए दो उपग्रह चेज़र और टारगेट वाले स्पैडेक्स लॉन्च के अलावा, स्पैडेक्स मिशन के साथ पीएसलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल-4 (पीओईएम-4) पर अंतरिक्ष में रिकॉर्ड 24 वैज्ञानिक प्रयोग किये जायेंगे।

 क्या है यह मिशन?
अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक तब बहुत जरूरी होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की जरूरत होती है। इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन में दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक लगभग 220 किग्रा) शामिल हैं, जिन्हें पीएसएलवी-सी60 के जरिये स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।

अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का प्रदर्शन के लिए मिशन
इस मिशन के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक रखने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर है। 9 दिसंबर को पीएसएलवी-सी59/प्रोबास-3 मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद, इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव, एस सोमनाथ ने कहा कि दिसंबर में ही पीएसएलवी-सी60 के प्रक्षेपण के साथ एक समान मिशन आने वाला है। सोमनाथ ने कहा, 'यह (पीएसएलवी-सी60 मिशन) स्पैडेक्स नामक अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का प्रदर्शन करने जा रहा है। रॉकेट अब तैयार है और हम प्रक्षेपण की ओर ले जाने वाली गतिविधियों के अंतिम चरण के लिए तैयार हो रहे हैं, संभवतः दिसंबर में ही।'

बताया जाता है कि अंतरिक्ष में डॉकिंग की यह प्रक्रिया सबसे कठिन होती है और इसमें जरा सी चूक बड़ी मुसीबतें पैदा कर सकती है।
 
गोलाकार कक्षा में लॉन्च किया जाएगा मिशन
इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन को दो छोटे अंतरिक्ष यानों (एसडीएक्स01, जो कि चेजर है और एसडीएक्स02, जिसका नाम टारगेट है) के पृथ्वी की निचली वृत्ताकार कक्षा में तेज गति में मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग को प्रदर्शित किया जाएगा। पीएसएलवी कक्षीय प्रयोग मॉड्यूल (पीओईएम) अंतरिक्ष में विभिन्न प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने के लिए 24 प्रयोग करेगा। इनमें 14 प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की विभिन्न प्रयोगशालाओं से और प्रयोग 10 निजी विश्वविद्यालयों तथा ‘स्टार्ट-अप’ से संबंधित हैं।

डॉकिंग प्रक्रिया से ही बने हैं अमेरिका और रूस के स्पेस स्टेशन
गौरतलब है कि अमेरिका और रूस धरती पर एक-दूसरे के दुश्मन हैं, हालांकि अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) स्थापित करने में दोनों देशों ने साथ काम किया है। जहां नासा के स्पेस शटल ने आईएसएस के एक भाग का निर्माण किया है, वहीं रूस ने भी अपने कई स्पेस शटल्स का इस्तेमाल किया। नासा के पा मौजूदा समय में कोलंबिया, चैलेंजर, डिस्कवरी, अटलांटिस, एंडियेवर जैसे स्पेस शटल हैं, वहीं रूसी स्पेस एजेंसी रॉस्कॉस्मोस ने अपने स्पेस शटल का नाम बुरान रखा है।

 

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