- Careless officer saved in procurement case
जबलपुर । जिला उपार्जन समिति के सदस्यों का सामूहिक उत्तरदायित्व है उपार्जन। धान उपार्जन की कार्यवाही में उपायुक्त सहकारिता अखिलेश निगम का नंबर कब आएगा?
इसके पहले पूर्व कलेक्टर सौरभ सुमन ने उपायुक्त सहकारिता को निलंबित करने की बात कही थी क्योंकि उपार्जन जैसा महत्वपूर्ण दायित्व छोड़कर ये भोपाल चले गए थे। गौर तलब है कि जिला स्तर के अधिकारी होने के बावजूद अखिलेश निगम एक भी बार फील्ड पर नही गए किसी सहकारी समिति का दौरा नही किया। जबकि संभागीय आयुक्त सिद्धार्थ लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर रहे है।इसके पूर्व दिनांक दो जनवरी को आयुक्त सहकारिता की जबलपुर बैठक में भी उपस्थित नही थे। यदि समय पर उपायुक्त द्वारा केंद्र बनाए गए होते तो किसानों को धान रखने विवश न होना पड़ता। उपार्जन का सर्वाधिक विवादित विकास खंड पाटन और मझौली रहा है।
हैरानी की बात यह है बीते दो माह से पाटन में उपायुक्त सहकारिता ने किसी को सहकारिता विस्तार अधिकारी का दायित्व ही नही दिया। मूल पद स्थापना भोपाल होने से जबलपुर कहकर निकल आते है। जबलपुर में भोपाल का बहाना बनाया जाता है।सवाल यह है कि किसानों के केंद्र बनाए जाने का प्रस्ताव उपायुक्त सहकारिता ने समय पर क्यों नही दिया? इसके पूर्व पदस्थापना जिले सिवनी में भी अखिलेश निगम उपार्जन अनियमितता के चलते केवलारी विधायक की शिकायत पर मुख्य मंत्री जी द्वारा मंच से स्थानांतरित किए गए थे ।