सिंगरौली
19 दिसम्बर से 24 दिसम्बर तक जिले में सुशासन संप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान जिले में विजन 2047 तक की कार्य योजना तैयार करने हेतु कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला के अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में विजन 2047 डाक्यूमेंट पर चर्चा की गई।
विदित हो कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंशानुसार देश को 2047 तक विकशित राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने के लिए जिला स्तर पर कार्यशाला का सुशासन दिवस के अवसर पर आयोजन किया गया। कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुयें कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला ने कहा कि हमारा सिंगरौली जिला मध्यप्रदेश के सुदूर उत्तर-पूर्व में स्थित जनजाति बाहुल्य जिला है, जिसकी आबादी का 33 प्रतिशत जनजाति आबादी है । विशेष रूप से पिछड़ी जातियां जिन में बैगा,अगरिया इस जिले में प्रमुखता से अपनी उपस्थिति रखती हैं। विगत अर्द्ध शताब्दी से खनन परियोजनाएं कोल एवं थर्मल पावर की परियोजनाओं के जुगलबंदी में इस जिले के औद्योगिक परिदृश्य में व्यापक विस्तार किया है ।
सिंगरौली, देश में ताप विद्युत की सबसे बड़ी परियोजनाओं तथा बड़े उत्पादन वाला जिला है । अन्य महत्वपूर्ण खनिजों लेटराइट, बॉक्साइट के अलावा जिले में स्वर्ण अयस्क की भी संभावनाएं पाई जा रही हैं । इसके दो ब्लॉक भी नीलामी के लिए तैयार हुए हैं।जिले की कुल जनसंख्या 14 लाख अनुमानित है जिसमें से 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है तथा अभी भी शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी प्रश्न सम्मुख खड़े हैं । औद्योगिक प्रगति और उसकी संभावनाओं के बावजूद भी स्थानीय जन आबादी के गुणवत्तापूर्ण जीवन का प्रश्न अभी भी हमारे समक्ष है। हम सब मिलकर जिले को यह सुनिश्चित करे 2047 तक हमारे जिले का विकास किस स्वरूप में होगा।
कार्यशाला के दौरान विकास से संबंधित मुख्य घटको पर विस्तार से चर्चा की गई। जिसमें जिले की अधोसंरचना विकास के लिए यातायात के साधन, राष्ट्रीय राजमार्ग, वायुयान सेवा, रेल नेटवर्क,अंन्तरिक मार्ग सहित जल परियोजना में पेयजल की उपलंब्धता, जन संरचनाओं की सुरंक्षा एवं विकास, विद्युतिकरण सिचाई पर चर्चा की गई। वही उद्योग एवं रोजगार घटक के तहत औद्योगिक परिक्षेत्र, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग, सहकारिता, हस्तशिल्प, छोटी इकाइया एफपीओ, समूह के संगठित शक्ति,एन्टरप्रीन्युरशिप, औद्योगिक प्रदूषण एवं औद्योगिक रोजगार के विषय पर चर्चा की गई।
इसी तरह से कार्यशाला में नगरीय विकास घटक के तहत अर्बन प्लानिंग, मास्टर प्लान, सीवरेज व्यवस्था के साथ ही नगरीय क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था, सड़क, विद्युतीकरण, पार्किग व्यवस्था के साथ हाट बाजार के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। कार्यशाला में जिले की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र में होने वाली आर्थिक गतिविधियो के उत्थान के संबंध में चर्चा की गई। वही शिक्षा एवं कौशल उन्नयन के तहत जिले की शिक्षा व्यवस्था एवं कौशल उन्नयन पर चर्चा की गई। वही मानव सूचकांक के अंतर्गत उच्च गुणवत्ता मूल्यो की बेहतरी के संबंध में चर्चा की गई। जिसमें वित्त समावेशी, स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार, सुरंक्षा जेन्डर समानता जैसे मुद्दो पर गंभीरता से मंथन किया गया।
कार्यशाल में स्वाथ्य संवाद के विषय पर चर्चा करते हुयें कलेक्टर ने कहा कि जिले में कुपोषणता की पहचान एवं रोकथाम एवं जीवन की सुरंक्षा हेतु पुलिससिंग एवं सायबर सुरंक्षा के प्रति जन जागरूकता के विषय में चर्चा किया गया। वही जनजाति वर्ग एवं अन्य कमजोर वर्गो के उत्थान हेतु विजन 2047 में प्रमुखता के साथ स्थान दिया जायें। कार्यशाला के दौरान कलेक्टर शुक्ला के द्वारा विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि अपने अपने विभागो से संबंधित लक्ष्य एवं संकल्पनाओं को तैयार कर प्रस्तुत करे ताकि कार्य योजना को वृहद रूप दिया जा सके।कार्यशाला के दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी गजेन्द्र सिंह नागेश, अपर कलेक्टर अरविंद झा, पी.के सेन गुप्ता, संयुक्त कलेक्टर संजीव पाण्डेंय, एसडीएम सृजन बर्मा, नगर निगम आयुक्त डी.के शर्मा, डिप्टी कलेक्टर माइकेल तिर्की, सौरभ मिश्रा, नंदन तिवारी सहित जिलाधिकारी उपस्थित रहे।