अमेरिकी राष्ट्रपतियों की हत्या का लंबा है इतिहास, यूएस प्रेसिडेंट की हत्या करके भी बरी हो गया था रिचर्ड लॉरेंस

वॉशिंगटन.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और इस बार रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर एक रैली के दौरान जानलेवा हमला हुआ है। बताया जा रहा है कि गोली उनके कान को फाड़ती हुई निकल गई और वह बाल-बाल बच गए। वहीं एफबीआई का कहना है कि हमलावर को मौत के घाट उतार दिया गया है। अमेरिका में गोली चलने की बात अकसर सामने आती रहती है। वहीं यहां के राष्ट्रपतियों और पूर्व राष्ट्रपतियों पर भी जानलेवा हमलों की इतिहास लंबा है।

अब्राहम लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, विलियम मैककिन्ले, जेम्स गार्फील्ड और रोनाल्ड रीगन की हत्या कर दी गई थी। 1835 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ऐंड्रयू जैक्सन पर गोली चलाने की कोशिश हुई ती। रिचर्ड लॉरेंस नाम के शख्स ने उनपर गोली चलाने की कोशिश की लेकिन पिस्तौल मिसफायर हो गई और उनकी जान बच गई।

अब्राहम  लिंकन की हत्या
अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंक की हत्या एक थिएटर में नाटक देखने को दौरान कर दी गई थी। 14 अप्रैल 1865 को वह फोर्ड थिएटर में 'अवर अमेरिकन कजिन' नाटक देखने पहुंचे थे। उनके सुरक्षा गार्ड भी उस समय उनके पास नहं थे। तभी रात करीब 10 बजे जॉन वाइक्स बूथ ने लिंकन को पीछे से गोली मार दी। गोली सिर से होते हुए बाहर निकल गई। इसके बाद अगली ही सुबह अस्पताल में उनकी मौत हो गई। गोली मारने वाला उसी थिएटर का एक आर्टिस्ट था। बाद में उसे भी एक मुठभेड़ में मार दिया गया। दरअसल लिंकन नस्लभेद और दास प्रथा के खिलाफ थे और यही वजह थी कि वाइक्स बूथ ने उनकी हत्या कर दी। लिकंन पर पहले भी जानलेवा हमले हो चुके थे। 1861 में बाल्टिमोर में उनके खिलाफ साजिश की गई थी। इसकेबाद 1864 में एक सैनिक के घर जाते वक्त उनके हैट के पास से गोली निकल गई और वह बच गए।

जेम्स गार्फील्ड को मारी गई गोली
अमेरिका के 20वें राष्ट्रपति जेम्स गार्फील्ड को ट्रेन में गोली मार दी गई थी। 2 जुलाई 1881 को वह न्यू इंग्लैंड जाने वाले थे। तभी चार्ल्स गुइटो नाम के शख्स ने उन्हें गोली मार दी। गोली उनके सीने में लगी और फिर डॉक्टर उसे निकाल ही नहीं पाए। डॉक्टर कई दिनों तक गोली निकालने की कोशिश करते रहे लेकिन आखिर में उनकी जान चली गई। वह करीब ढाई महीने अस्पताल में थे। बाद में गुइटो को फांसी पर लटका दिया गया।

विलियम मैककिन्ले की हत्या
अमेरिका के 25वें राष्ट्रपति विलियम मैकक्न्ले को एक सार्जनिक सभा के दौरान गोली मार ददी गई थई। 6 सितंबर 1901 को उन्हें गोली लगी थी और 14 सितंबर को मौत हो गई। वह अपना दूसरा कार्यकाल शुरू कर चुके थे और मात्र छह महीने बीते थे। तभी 28 साल के लियोन एफ जोलगोज नाम के शख्स ने उन्हें गोली मार दी। बाद में उसे भी मौत की सजा दी गई।

जॉन एफ कैनेडी की हत्या अब भी रहस्य
अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को 22 नवंबर 1963 को गोली मार दी गई थी। ओपन कार में जाते वक्त उन्हें स्नाइपर ने गोली मार दी। उसी दिन उनकी मौत भी हो गई। उनकी हत्या एक पूर्व मरीन ने की थी जिसका नाम हार्वी ओसवाल्ड था। ओसवाल्ड की हत्या भी दो ही दिन बाद कर दी गई थी। इस हत्या का रहस्य आज तक नहीं सुलझ पाया है। 1909 में विलियम होवार्ट ताफ्ट की हत्या की साजिश रची गई थी लेकिन यह कामयाब नहीं हो पाई। इसके बाद 1933 में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की कार पर फायरिंग की गई। हालांकि यह गोली शिकागो के मेयर को लग गई और राष्ट्रपति की जान बच गई। 1950 में हैरी एस च्रूमैन पर गोली चलाई गई लेकिन वह बच गए। 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड पर दो बार दो महिलाओं ने गोली चलाई।

रोनाल्ड रीगन की हत्या
1981 में तत्कालीनी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन कीवॉशिंगटन डीसी में एक समारोह के दौरान हत्या कर दी गई। वह कार में बैठने जा रहे थे तभी एक शख्स ने उनपर गोली चला दी जिसका नाम जॉन हिंक्ले था। गोली बुलेटप्रुफ शीशे से टकराकर उनके सीने में लग गई और उनकी मौत हो गई। बाद में हिंक्ले ने बताया कि वह ऐक्ट्रेस जोडी फोस्टर को इंप्रेस करना चाहता था। हिंक्ले के वकीलों ने उसे पागल करार दे दिया। 2022 में हिंक्ले को बरी कर दिया गया।

पूर्व राष्ट्रपति भी रहे निशाने पर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति भी अकसर निशाने पर रहते हैं। 1993 में पूर्व राष्ट्रपति एचडब्लू बुश पर कुवैत में जानलेवा हमला किया है। उनकी कार में बम लगाया गया था। हालांकि कुवैत प्रशासन की सतर्कता के चलते उनकी जान बच गई। इसके बाद 2005 में जॉर्ज डब्लू बुश को जॉर्जिया में मारने की कोशिश की गई। वह जब भाषण दे रहे थे तभी स्टेज पर ग्रेनेड फेंक दिया गया। हालांकि यह फटा नहीं। थियोडोर रूजवेल्ट पपर 1912 में चुनाव प्रचार के दौरान गोली चलाई गई थी। गोली लगने के बाद भी वह भाषण देते रहे और उनकी जान बच गई। 1965 से पूर्व राष्ट्रपतियों को भी सीक्रेट सर्विस प्रटेक्शन दी जाती है। हालांकि 1997 में इसकी सीमा केवल 10 साल तय करर दी गई। इसके बाद 2012 में इस सुरक्षा को उम्रभर के लिए फिर से कर दिया गया।

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