The danger of this illness is now looming over the youth, becoming a continuous threat.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एकाकीपन को गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा घोषित किया है। जिसकी मृत्यु दर प्रतिदिन 15 सिगरेट पीने के बराबर है। आंकड़ों के अनुसार विश्व में 5 से 15 प्रतिशत किशोर अकेले हैं।
बुजुर्गों में होने वाली एकाकीपन की समस्या ने अब युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। कोविड के बाद इन आंकड़ों में वृद्धि हुई है।
बुजुर्गों में होने वाली एकाकीपन की समस्या ने अब युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। कोविड के बाद इन आंकड़ों में वृद्धि हुई है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मनोचिकित्सक केंद्र में रोजाना टेलीमानस पर 20 से 40 युवाओं के कॉल आ रहे हैं, जो एकाकीपन का शिकार है। इसमें ज्यादातर आईआईटी, नीट और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले व घर से दूर रहने वाले युवा शामिल है। वहीं बुजुर्गों की ओपीडी में हर सप्ताह 30 मरीज आ रहे हैं। जिनमें 8 से 10 केस एकाकीपन से जुड़े हैं।
एंग्जाइटी, डिप्रेशन और तनाव
मनोचिकित्सक डॉ. ललित बत्रा बताते हैं कि इंसान भावनाओं को शब्दों के जरिए अभिव्यक्त करता है। परिवार में उसकी यह जरूरतें पूरी हो जाती है। अकेलेपन से एंग्जाइटी, डिप्रेशन, तनाव जैसी समस्याएं पनपने लगती है। स्कूल-कॉलेज में बच्चों के बीच एक समूह बने, जिसमें वे अपने मन की बात साझा कर सकें।
ये हैं दूर करने के उपाय
दिनचर्या को ठीक रखने का प्रयास करें।
सोने और उठने का समय निर्धारित करें।
मेडिटेशन और योगा करें।
स्वयं को सामाजिक संवाद में शामिल करें।
दोस्तों और परिजनों के साथ समय बिताए और मन की बात साझा करें।