गौरेला पेंड्रा मरवाही
जिला प्रशासन और बनमनई ईकोकेअर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में पर्यटन स्थल राजमेरगढ़ में शनिवार को स्टार गेज़िंग एडवेंचर का आयोजन किया गया। ’जेमिनिड्स मीटियोर शॉवर (उल्का वृष्टि) स्टार गेज़िंग एडवेंचर’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह आयोजन खगोल विज्ञान और प्रकृति अन्वेषण का एक अद्भुत संगम रहा, जिसमें प्रतिभागियों ने जेमिनिड्स मीटियोर शॉवर के शानदार नजारे का दीदार किया। मुख्य आकर्षण और विशेषज्ञ मार्गदर्शन विशेषज्ञ एवं एमेच्योर एस्ट्रोफोटोग्राफर देवल सिंह बघेल द्वारा प्रतिभागियों को रात में इस आकशीय घटना की वैज्ञानिक व्याख्या दी गई। उन्होंने बताया कि जैमिनीड्स उस विशेष उल्का समूह का नाम है जो जेमिनी (मिथुन) नक्षत्र की दिशा से आता हुआ दिखाई देता है।
ये उल्कवृष्टि पूरे वर्ष भर में होने वाले अनेक उल्का वृष्टि में सर्वाधिक सघन और आकर्षक माना जाता है। जैमिनी कांस्टेलेशन की सीध में सौरमंडल में विद्यमान एस्टेरॉयड बेल्ट में स्थित रॉक कॉमेट “3200 पायथन“ के टुकड़े इस दौरान पृथ्वी की सीध में आने के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं और घर्षण के कारण जल उठते हैं, जिससे टूटते हुए तारे की अविस्मरणीय अनुभूति प्राप्त होती है।
सभी प्रतिभागियों ने कड़कड़ाती ठंड में अलाव की आंच का लुत्फ लेते हुए रात भर में लगभग 100 से अधिक उल्कापिंड देखे, जो कि बहुत ही आकर्षक रहा। इसके साथ ही अत्याधुनिक टेलीस्कोप के माध्यम से बृहस्पति और उसके चंद्रमा, शनि के छल्ले, ओरियन, प्लेयडीज सहित प्रमुख नक्षत्र जैसे नेबुला, तारा समूह, एंड्रोमेडा गैलेक्सी और अन्य खगोलीय पिंडों का अवलोकन भी किया गया। देवल सिंह बघेल ने अत्यंत रोचक और सरल भाषा में नक्षत्रों की पहचान, तारों की संरचना, तापमान और आयु, ग्रहों की कक्षाएं और गति, ध्रुवतारा से दिशा निर्धारण, आकाशगंगा की संरचना के बारे में विस्तार से बताया। पर्यावरणविद् संजय पयासी द्वारा मैकल पर्वतमाला की जैव विविधताओं और संरक्षण पर जानकारी दी गई, जिससे प्रतिभागियों को खगोल विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान को एक साथ जानने का अवसर मिला।









