मुजफ्फरपुर
बीपीएससी टीआरई एक से तीन तक के चयनित आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच होगी। इन तीनों चरणों में आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों के निवास, जाति और दिव्यांगता प्रमाणपत्र की जांच का आदेश दिया गया है। फर्जी निवास, जाति और दिव्यांगता प्रमाणपत्र का मामला आने पर कार्रवाई शुरू हुई है। निगरानी विभाग ने फरवरी में ही आदेश दिया था, लेकिन 2-3 जिलों को छोड़ कहीं भी कार्रवाई नहीं हुई। अब माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशक ने मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों से इसपर रिपोर्ट मांगी है। मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों के डीईओ को निर्देश दिया गया है कि आरक्षित श्रेणी के इन तीन प्रमाणपत्रों की जांच कर भेजें। ऐसा नहीं होने पर अधिकारी जवाबदेह होंगे।
फर्जी आवासीय पर नौकरी का सामने आया था मामला : बीपीएससी से शिक्षक नियुक्ति के अलग-अलग चरणों में अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी आवासीय बनाकर आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी करने का मामला कई जिलों में सामने आया था। यही नहीं, फर्जी दिव्यांगता के आधार पर भी नौकरी लेने का मामला सामने आया था, जिसमें कार्रवाई भी की गई थी। यूपी, झारखंड, एमपी के अभ्यर्थियों द्वारा बिहार के अलग-अलग जिलों का फर्जी आवासीय प्रमाणपत्र बनवा नौकरी लेने को लेकर स्थानीय अभ्यर्थियों ने शिकायत दर्ज कराई थी। विभाग को दिए आवेदन में ऐसे कई मामलों का साक्ष्य भी भेजा था। इसके बाद इसपर संज्ञान लेते हुए सरकार के संयुक्त सचिव रामा शंकर ने मुख्य निगरानी पदाधिकारी को कार्रवाई करने को लेकर पत्र जारी किया था।
मुजफ्फरपुर जिले में 2000 से अधिक अलग आरक्षण वाले
जिले में टीआरई एक, दो और तीन में नौ हजार से अधिक शिक्षक नियुक्त हुए हैं, जिनमें टीआरई एक में सबसे अधिक छह हजार, दो में लगभग दो हजार और टीआरई तीन में करीब 1400 शिक्षक बहाल हैं। इनमें दो हजार से अधिक शिक्षक अलग-अलग आरक्षण का लाभ लेने वाले हैं।
– आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों के निवास, जाति और दिव्यांगता प्रमाणपत्र की जांच का आदेश
– फर्जी निवास, दिव्यांगता व जाति प्रमाणपत्र का मामला आने पर शुरू हुई कार्रवाई
– निगरानी विभाग ने फरवरी में ही दिया था आदेश, 2-3 जिलों में ही हुई कार्रवाई
-अब माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशक ने मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों से मांगी रिपोर्ट









