मप्र के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ मोहन जी यादव की सरकार के दो वर्ष पूर्ण हो गए हैं ।
भोपाल
किसी भी राज्य का विकास केवल परियोजनाओं और आंकड़ों से नहीं मापा जाता, बल्कि उस दृष्टि से पहचाना जाता है जो शासन को दिशा देती है। मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में बीते दो वर्ष इसी दृष्टि के सशक्त उदाहरण के रूप में उभरे हैं। यह कालखंड प्रशासनिक निरंतरता का नहीं, बल्कि नीतिगत स्पष्टता, निवेश–मित्र वातावरण और संरचनात्मक सुधारों का काल रहा है। ‘उद्योग करना आसान’ जैसी अवधारणाओं को व्यवहार में उतारते हुए सरकार ने मध्यप्रदेश को निवेशक, विश्वास आधारित राज्य के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया है।
नीति आधारित शासन और औद्योगिक स्पष्टता
डॉ. मोहन यादव सरकार की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि उसने विकास को आकस्मिक निर्णयों पर नहीं, बल्कि सुस्पष्ट नीतिगत ढांचे पर आधारित किया। एक साथ 18 नीतियों को लागू करना केवल प्रशासनिक घोषणा नहीं, बल्कि यह संकेत है कि सरकार उद्योग, सेवा, कृषि, पर्यटन, तकनीक और ऊर्जा, सभी क्षेत्रों को एक साझा विकास दृष्टि से देख रही है। इन नीतियों के माध्यम से निवेशकों को यह भरोसा मिला कि राज्य में नियम अस्थिर नहीं हैं और प्रक्रियाएँ अनुमानित तथा पारदर्शी हैं।
औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, आईटी, आईटीईएस और इलेक्ट्रॉनिक्स निवेश नीति, स्टार्ट-अप नीति और लॉजिस्टिक्स नीति ने मध्यप्रदेश को पारंपरिक उद्योगों के साथ-साथ नवीन और उभरते क्षेत्रों के लिए भी आकर्षक बनाया। डिजिटल स्टेट नीति और ड्रोन आधारित सेवाओं को प्रोत्साहन देने वाली नीति ने यह स्पष्ट किया कि सरकार केवल वर्तमान नहीं, बल्कि भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए तैयारी कर रही है।
निवेशक–मित्र वातावरण और प्रशासनिक भरोसा
इन दो वर्षों में राज्य सरकार ने निवेश को केवल आमंत्रण तक सीमित नहीं रखा, बल्कि निवेशक के साथ खड़े रहने की नीति अपनाई। ‘निवेशक मित्र नीति’ के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि मध्यप्रदेश में उद्योग लगाने वाला व्यक्ति या संस्था अकेली नहीं है; सरकार उसकी प्रक्रियात्मक, संरचनात्मक और प्रशासनिक आवश्यकताओं में सहभागी है। सिंगल विंडो सिस्टम, समयबद्ध स्वीकृतियाँ और स्पष्ट उत्तरदायित्व ने प्रशासन को निवेश के लिए सहयोगी बनाया।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 इस नीति का प्रत्यक्ष परिणाम रही, जहाँ ₹26 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव सामने आए। यह उपलब्धि केवल एक आयोजन की सफलता नहीं, बल्कि उस भरोसे का परिणाम है जो सरकार ने उद्योग जगत में निर्मित किया। इसी क्रम में सात रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और चौदह इंटरैक्टिव सेशन्स ने यह सुनिश्चित किया कि निवेश संवाद केवल राजधानी तक सीमित न रहे, बल्कि प्रदेश के विभिन्न अंचलों तक पहुँचे।
रोजगार, कौशल और मानव संसाधन का पुनर्गठन
मोहन यादव सरकार के कार्यकाल में रोजगार को केवल सांख्यिकीय लक्ष्य के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण के माध्यम के रूप में देखा गया। 23 लाख से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन इस बात का प्रमाण है कि निवेश को कौशल और स्थानीय संसाधनों से जोड़ा गया। तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और उद्योग–शैक्षणिक समन्वय के प्रयासों ने रोजगार को अल्पकालिक नहीं, बल्कि स्थायी आर्थिक आधार प्रदान करने की दिशा में कार्य किया।
तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास नीति के माध्यम से युवाओं को आधुनिक उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करने का प्रयास किया गया। इससे रोजगार केवल महानगरों तक सीमित न रहकर छोटे शहरों और औद्योगिक अंचलों तक पहुँचा।
नवीकरणीय ऊर्जा और हरित विकास की दिशा
विकास की आधुनिक अवधारणा पर्यावरणीय संतुलन के बिना अधूरी मानी जाती है। इस दृष्टि से मोहन यादव सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा नीति को विकास का अभिन्न अंग बनाया। 278 मेगावाट की सोलर परियोजनाएँ और सैकड़ों एकड़ में ऊर्जा आधारित निवेश यह दर्शाते हैं कि मध्यप्रदेश ने हरित विकास को विकल्प नहीं, अनिवार्यता के रूप में स्वीकार किया है।
नवीकरणीय ऊर्जा नीति ने न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया, बल्कि राज्य को निवेशकों के लिए एक जिम्मेदार और दीर्घकालिक दृष्टि वाला गंतव्य भी बनाया। यह नीति आने वाले वर्षों में मध्यप्रदेश को ऊर्जा आधारित उद्योगों का केंद्र बनाने की क्षमता रखती है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स : औद्योगिक प्रवाह की रीढ़
औद्योगिक विकास का वास्तविक आधार मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर होता है। लॉजिस्टिक्स नीति, औद्योगिक कॉरिडोर और परिवहन नेटवर्क के विस्तार ने मध्यप्रदेश को कनेक्टिविटी आधारित राज्य के रूप में उभारा है। सड़क, एक्सप्रेस-वे और माल परिवहन की बेहतर व्यवस्था ने उद्योगों के लिए लागत घटाई और समयबद्ध आपूर्ति को संभव बनाया।
यह इंफ्रास्ट्रक्चर केवल उद्योगों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कृषि, पर्यटन और सेवाक्षेत्र के विस्तार में भी सहायक बना। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बहुआयामी गति मिली।
पर्यटन, संस्कृति और आर्थिक पुनर्जीवन
डॉ. मोहन यादव सरकार की एक विशिष्ट पहचान यह रही कि उसने विकास को सांस्कृतिक जड़ों से अलग नहीं किया। पर्यटन नीति, फिल्म पर्यटन नीति और धार्मिक–सांस्कृतिक स्थलों के विकास ने यह स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश अपनी विरासत को केवल स्मृति नहीं, बल्कि आर्थिक संसाधन के रूप में देखता है।
महाकाल लोक, राम वन गमन पथ और अन्य धार्मिक–पर्यटन परियोजनाओं ने न केवल राज्य की पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ किया, बल्कि स्थानीय रोजगार और सेवा क्षेत्र को भी नई ऊर्जा दी। यह मॉडल दर्शाता है कि संस्कृति और विकास एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
प्रशासनिक कार्यशैली : निर्णय, संवाद और मैदान में उपस्थिति
मुख्यमंत्री मोहन यादव की कार्यशैली उनकी निरंतर सक्रियता में परिलक्षित होती है। वे केवल नीतियाँ घोषित करने तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उनके क्रियान्वयन की सतत समीक्षा भी करते रहे। उद्योगपतियों, अधिकारियों और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संवाद ने प्रशासन को अधिक उत्तरदायी बनाया।
यह कार्यशैली शासन को कागजी प्रक्रियाओं से निकालकर परिणाम आधारित प्रशासन की ओर ले जाती है, जहाँ निर्णय का मूल्यांकन उसके प्रभाव से होता है।
निष्कर्ष : हम कह सकते है कि डॉ मोहन यादव की सरकार ने मप्र में एक नवयुग की ठोस आधारशिला रख दी है ,क्योंकि मोहन यादव सरकार के ये दो वर्ष मध्यप्रदेश के लिए परिवर्तन के संकेत नहीं, बल्कि परिवर्तन की ठोस आधारशिला हैं। नीतिगत स्पष्टता, निवेश–मित्र वातावरण, रोजगार सृजन, हरित ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और सांस्कृतिक चेतना—इन सभी का समन्वय एक ऐसे विकास मॉडल की ओर संकेत करता है जो राज्य को केवल विकसित नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाता है।
यदि यही नीति–निरंतरता और प्रशासनिक सक्रियता बनी रहती है, तो आने वाले वर्षों में यह कालखंड मध्यप्रदेश के इतिहास में औद्योगिक और प्रशासनिक नवयुग के प्रारंभ के रूप में दर्ज होगा।
✍️- डॉ विश्वास चौहान (प्राध्यापक विधि , स्टेट पीजी लॉ कॉलेज भोपाल )









