नोएडा का 14 वर्षीय छात्र नासा के अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह खोज परियोजना के तहत खोजे गए क्षुद्रग्रह को नाम देगा

नोएडा
अंतरिक्ष का रहस्य हमेशा इंसानों के लिए अबूझ रहा है। आज इंसान अंतरिक्ष पहुंच तो गया है, लेकिन अभी भी वहां के बारे में ज्यादा खोज-खबर इंसानों को नहीं और वह लगातार इसमें और खोज कर रहा है। नोएडा के शिव नाडर स्कूल के 14 साल के छात्र दक्ष मलिक ने एक क्षुद्रग्रह (asteroid/छोटा तारा) की खोज की खोज की है। नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के इंटरनेशनल एस्टेरॉयड डिस्कवरी प्रोजेक्ट (IADP) के तहत उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की है। मलिक अब इस क्षुद्रग्रह का नाम रखेंगे।

पिछले साल उन्होंने इसकी प्रारंभिक जानकारी NASA को भेजी थी। NASA ने इसे "मेन बेल्ट क्षुद्रग्रह" के रूप में मान्यता दी है। दक्ष को बचपन से ही अंतरिक्ष में रुचि रही है। अंतरिक्ष पर बने वृत्तचित्रों ने उनके इस जुनून को बढ़ाया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने इस उपलब्धि को "सपना सच होना" बताया है।

दो सहपाठियों के साथ डेढ़ साल से भी ज्यादा काम किया

दक्ष मलिका ने दो सहपाठियों के साथ मिलकर डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक क्षुद्रग्रहों की खोज की। यह सब IADP के तहत हुआ। उन्हें हार्डिन सिमंस यूनिवर्सिटी के डॉ. पैट्रिक मिलर का मार्गदर्शन मिला। IADP एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसमें आम लोग और छात्र NASA के सॉफ्टवेयर और डेटा का इस्तेमाल करके नए क्षुद्रग्रह ढूंढ सकते हैं। यह NASA के सिटीजन साइंस प्रोजेक्ट, IASC और Pan-STARRS का एक संयुक्त प्रयास है।

80 से ज्यादा देशों के लोग हिस्सा लेते हैं

इस प्रोजेक्ट में 80 से ज्यादा देशों के लोग हिस्सा लेते हैं। उन्हें हवाई के Pan-STARRS टेलीस्कोप से ली गई तस्वीरें समेत उच्च गुणवत्ता वाला खगोलीय डेटा मिलता है। इस डेटा का उपयोग करके वे नए क्षुद्रग्रह खोज सकते हैं। हजारों लोग हर साल इसमें भाग लेते हैं, लेकिन कुछ ही लोग कोई बड़ी खोज कर पाते हैं। दक्ष उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं। छह प्रारंभिक खोजों के बाद उनके द्वारा खोजे गए क्षुद्रग्रह को आधिकारिक मान्यता मिली है।

शिक्षकों और स्कूल को दिया श्रेय

दक्ष उन कुछ भारतीय छात्रों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने क्षुद्रग्रह की खोज की है। देश में केवल पांच अन्य छात्रों ने यह उपलब्धि हासिल की है। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने स्कूल की वेधशाला और खगोल विज्ञान कार्यक्रमों के साथ-साथ अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन को देते हैं। दक्ष ने कहा कि इस यात्रा ने मुझे सितारों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया है। मुझे आशा है कि यह दूसरों को अपने जुनून को निडरता से आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

यह एक महत्वपूर्ण खोज है

दक्ष की यह उपलब्धि वाकई में काबिले तारीफ है। यह दर्शाता है कि अगर जुनून हो और सही मार्गदर्शन मिले तो कम उम्र में भी बड़े काम किए जा सकते हैं। IADP जैसे प्रोग्राम आम लोगों को विज्ञान में योगदान देने का मौका देते हैं। यह अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। ऐसे प्रोग्राम से भविष्य में और भी नई खोजें होने की उम्मीद है। क्षुद्रग्रह, छोटे ग्रह होते हैं जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। ये मुख्य रूप से मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट में पाए जाते हैं। "मेन बेल्ट क्षुद्रग्रह" का मतलब है कि दक्ष द्वारा खोजा गया क्षुद्रग्रह इसी बेल्ट में स्थित है। यह एक महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि इससे हमारे सौर मंडल के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकती है।

बड़े काम के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती है

दक्ष के इस सफर में उनके स्कूल और शिक्षकों का भी बड़ा योगदान रहा है। स्कूल में मिलने वाली सुविधाओं और शिक्षकों के मार्गदर्शन से ही दक्ष अपने जुनून को आगे बढ़ा पाए। यह दूसरे स्कूलों के लिए भी एक उदाहरण है कि वे अपने छात्रों को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं। दक्ष के इस अद्भुत कारनामे से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। यह दिखाता है कि उम्र कोई बाधा नहीं है। मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि दक्ष भविष्य में भी इसी तरह अंतरिक्ष विज्ञान में योगदान देते रहेंगे और देश का नाम रोशन करते रहेंगे।

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